भस्त्रिका प्राणायाम की सावधानियां, लाभ एवं विधि इन हिंदी
भस्त्रिका प्राणायाम का अर्थ एवं परिभाषा - भस्त्र - लुहार की छोटी धौंकनी। जिस प्रकार लुहार की धौंकनी जिस प्रकार लोहार की धौंकनी वायु को अपने अंदर धारण के साथ बाहर फेंक देती है उसी प्रकार साधक भी प्राणवायु को अपने अंदर ग्रहण करते है तथा आवाज देकर छोड़ते है तथा फिर दबाव के साथ आवाज देकर छोड़ते है। अतः पूरी प्रक्रिया धौकनी जैसी होने के कारन इसे भस्त्रिका कहते है।
सम्यक् पदमासनं बद्ध्वा समग्रीबोदर' सुधी:।
मुखं संयम्य यत्नेन प्राणं प्राणेन रेचयेत्॥
भली प्रकार पदमासन लगाकर बुद्धिमान साधक गर्दन और उदर (शरीर) सीधा रखें, मुख को बंद कर यत्नपूर्वक वायु को थोड़ी आवाज के साथ नाक द्वारा छोड़े। जिससे वायु स्पर्श का अनुभव पूरक करें, फिर छोड़े। इस प्रकार साधक को बार - बार पूरक - रेचक करना चाहिए।
भस्त्रिका प्राणायाम की विधि - पदमासन में बैठे, कमर (मेरुदंड) को सीधा रखते हुए दोनों हाथों को घुटनों पर रखते हैं। पूरी श्वास बाहर निकालकर लंबी गहरी श्वास लेते हैं फिर दबाव देते हुए श्वास को 20 बार छोड़ेंगे। हैं। तत्पश्चात दाईं नासिका से श्वास लेकर बार्यी से छोड़ेंगे। फिर शांत बैठते हैं। पूरक, रेचक तथा कुंभक का अनुपात 1: 4: 2 होता है।
भस्त्रिका प्राणायाम से लाभ - भस्त्रिका प्राणायाम से निम्मनलिखित लाभ होते हैं -
(1) इस प्राणायाम से वात, कफ के रोग दूर होते हैं तथा जठराग्नि प्रदीप्त होती है।
(2) यह प्राणायाम सुषुम्ना के मुख में जमे हर कफ को बाहर निकाल देता है तथा अंततः यह कुंडलिनी जागरण के लिए सहायक होता है।
(3) यह मोटापा दूर करने में सहायक होता है।
(4) इस प्राणायाम को करने से मन शांत होता है।
भस्त्रिका प्राणायाम की सावधानियाँ - इसमें निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए -
(1) इस प्राणायाम को अधिक नहीं करना चाहिए, क्योंकि इस प्राणायाम से शरीर के तापमान में वृद्धि होती है।
(2) गरमी के दिनों में इस प्राणायाम को नहीं करना चाहिए।
(3) उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, हर्निया, गैस्ट्रिक अल्सर, मिर्गी से पीड़ित व्यक्तियों को इस प्राणायाम का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
(4) यदि भस्त्रिका का अधिक अभ्यास करेंगे तो रक्त की गंदगी में फोड़े - फुंसी, घाव एवं चर्म रोगों की शिकायत बढ़ेगी (होने लगेगी)।अतः धैर्यपूर्वक साधक को अभ्यास करना चाहिए। अशुद्धियों का निष्कासन धीरे - धीरे होने दें जिससे किसी बीमारी से ग्रस्त होने की संभावना ज्यादा न रहे।