कुक्कुटासन का अर्थ - विधि, लाभ और सावधानियां
कुक्कुटासन का अर्थ - कुक्कुट का अर्थ होता है मुर्गा। इस आसन में शारिरिक विन्यास एक मुर्गे की भाँति होता है। इस कारण इसे कुक्कुटासन कहते हैं।
कुक्कुटासन की विधि -पद्मासन में बैठिये। हाथों को पिण्डलियों एवं जाँघों के बीच घुटनों के पास से निकालते हुए धीर-धीरे भुजाओं को कुहनियों तक पैरों के बीच से निकाल लें। हथेलियों को जमीन पर दृढ़ता से इस प्रकार रखें कि अंगुलियाँ सामने की ओर रहें।
हाथों को सीधा एवं आँखें को सामने के किसी बिन्दु पर स्थिर रखते हुए शरीर को जमीन से ऊपर उठायें। पूरा शरीर केवल हाथों पर सन्तुलित रहता है। पीठ को सीधा रखें, जब तक आराम से रह सकते हैं, अन्तिम स्थिति में रहें, फिर जमीन पर वापस आ जायें और धीरे-धीरे भुजाओं, हाथों एवं पैरों को शिथिल बनायें पैरों की स्थिति बदलकर इस अभ्यास को दुहरायें।
श्वास -शरीर को ऊपर उठाते हुए श्वास छोड़े। अन्तिम स्थिति में सामान्य श्वास लें। शरीर को नीचे लाते हुए श्वास छोड़े।
कुक्कुटासन से लाभ - 1. इस आसन से भुजाओं एवं कन्धों की मांसपेशियों को शक्ति प्राप्त होती है।
2. वक्ष का विस्तार होता है। यह पैरों के जोड़ों को ढीला कर संतुलन एवं स्थिरता के भाव को विकसित करता है
3. मूलाधार चक्र के उद्दीपन के कारण इसका उपयोग कुण्डलिनी जागरण के लिये किया जाता है। कछ लोग तो काँख तक अपने शरीर का ऊपर उठा लेते हैं।
4. कन्धों के रोग, भुजाओं, छाती, फेफड़ों ओर दिल से सम्बधित रोगों के निराकरण में यह विशेष उपयोगी अभ्यास है।