होम्योपैथी उपचार हिंदी नुकसान, फायदे | होम्योपैथिक दवा इलाज

Homeopathy kya hai in hindi

होम्योपैथी (Homeopathy) - होम्योपैथी की खोज जर्मन के मशहूर डॉक्टर क्रिसचन फ्रेडरिक सैमुएल हैनिमैन ने 1796 में किया था होमियोपैथी एक ऐसा चिकित्सा विज्ञानं है जिसमें बीमारी का इलाज ऐसी दवाओं या औषधि द्वारा किया जाता है जिनका परीक्षण पूर्ण रूप से स्वस्थ मनुष्य पर पहले ही किया जा चूका हो आम भाषा में इसे जहर ही जहर की दवा है इस नाम से भी जाना जाता है यह हमारे मानसिक और शारीरिक तनावों के लिए बहुत लाभकारी इलाज है यह हमारे शरीर के सभी रोगों के इलाज के लिए मान्य चिकित्सा हैं।

होम्योपैथी के फायदे - होम्योपैथी की दवाइयाँ प्राकृतिक तरीके से बनायीं जाती है जैसे की जड़ी बूटी और पेड़ पौधों से इसे बहुत कम मात्रा में उपयोग किया जाता है इसलिए होमियोपैथी दवाइयों के कोई खराब असर नहीं होते ये न ही विषैला है और न ही इसकी आदत लगती है इसे बच्चे, बूढ़े और जवान सभी उपयोग कर सकते है ये गर्भवती महिला और डायबिटीज मरीजों के लिए बहुत उपयोगी है। होमियोपैथी हमारे शरीर में ह्यूमैनिटी ऊर्जा को बढ़ाता है और एंटीबायोटिक को काम करता है क्योंकि शरीर में रोग उत्पन्न न हो इसके लिए हमारी ह्यूमैनिटी ऊर्जा हर समय अच्छी रहनी चाहिए साधारण दवाइयाँ रोगों को कुछ समय तक ठीक करती है जबकि होमियोपैथी दवाइयाँ रोगों को हमेशा के लिए ठीक कर देती है। होमियोपैथी हमें किसी रोग की सर्जरी और हॉस्पिटल के खर्चों से भी बचाती हैं।

होम्योपैथी दवा खाने से पहले परहेज | होम्योपैथी के फायदे

1. होम्योपैथी दवा लेने से पहले मुँह साफ कर ले।

2. होम्योपैथी दवाओं को खुले में न रखें इनको ठण्डे स्थान पर रखे।

3. दवाइयों को खाते समय हथेलियों पर नहीं निकलना चाहिए दवा लेने से 10 मिनट पहले और दवा लेने के 10 मिनट बाद तक कुछ न खाये।

4. दवा खाने से पहले या बाद में नशा नहीं करना चाहिए।

5. दवा को धूप में न रखे इससे दवा का असर कम हो जाता है।

6. दवा को किसी अन्य दवा के साथ नहीं रखना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से दवा का असर काम हो जाता है।

7. दवा खाने के बाद किसी तरह की खट्टी चीजें न खाये।

8. चाय और काफी से पीना छोड़ दें।

होमियोपैथी दवा लेते समय परहेज - होमियोपैथी दवाइयाँ लेते समय नशा, ज्यादा ठंडी चीजें न खाये, चाय या काफी का सेवन न करे और खट्टे भोज्य पदार्थों को न खाये क्योंकि इन सभी का सेवन करने से होमियोपैथी दवाइयों का असर काम हो जाता है और होमियोपैथी का उपचार लेते समय किसी नहीं समस्या से बचने के लिए किसी अच्छे होमियोपैथी डॉक्टर की सलाह हमारे लिए उपयोगी होगी।

होमियोपैथी कैसे काम करती है - होमियोपैथी के अनुसार अगर किसी औषधि को लेने से स्वस्थ शरीर में जो लक्षण उत्पन्न हो और अगर किसी भी रोग में वे लक्षण पाए जाये तो वही औषधि उन रोगों को समाप्त करके शरीर को पुनः स्वस्थ कर देती है। उदाहरण के तोर पर यदि कोई स्वस्थ व्यक्ति भांग का नशा कर ले तो उसको मानसिक भ्रम होने लगता है और उसके शरीर में कई और लक्षण पैदा हो जाते जैसा कि वह हँसता है हँसता ही रहता हो और बोलने लगता तो बोलता ही जाता है 1 मिनट उसको 1 घंटे के सामान लगता है सरदर्द होने लगता है इस तरह के रोग के लक्षण के रोगी को होमियोपैथी में भांग से बनी औषधि को देकर रोगी को ठीक किया जाता है।

होमियोपैथी से साइटिका, खुजली, pcod एवं अन्य रोगों का उपचार

gathiya rog ka homeopathy ilaaj in hindi

जोड़ो में दर्द या गठिया - यह समस्या आजकल हर किसी में देखने को मिलती है चाहे बचा हो या बूढ़ा यह एक ऐसा अपंगता पैदा करने वाला रोग है जो धीरे- धीरे हमारे शरीर के जोड़ो को क्षतिग्रस्त कर देता है इस रोग में हमारे शरीर की जोड़ - जोड़ में दर्द, लाली, गरमाहट और सूजन होने के साथ - साथ उन्हें हिलाना - डुलना भी मुश्किल हो जाता है । इस रोग में हमारे शरीर के वजन उठाने वाले अंगों के जोड़ जैसे - घुटने, कंधे, कलाई, नितम्ब, आदि ज्यादा प्रभावित होते है । होमियोपैथी औषधि का उपचार लेने से यह रोग धीरे धीरे कम हो के पूरी तरह खत्म हो जाते है होमियोपैथी दवाइयाँ हमारे ह्यूमैनिटी पावर को बढ़ाती है, होमियोपैथी औषधि का हमारे शरीर के जोड़ो के दर्द के लिए उपचार उपयोगी होता है और इसका हमारे शरीर कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है।

जोड़ो के दर्द में होमियोपैथी दवाइयां -लीपर्ड बेन, पॉइजन आइवी, वाइल्ड हॉप्स, फॉस्फेट ऑफ लाइम, मार्स - टी, मिडो - सैफ्रॉन अदि होमियोपैथी औषधि का प्रयोग करके हमारे जोड़ो का दर्द हमेशा के लिए ठीक हो सकता है।

गर्दन दर्द मे होमियोपैथी का उपचार -गर्दन में होने वाले दर्द को सर्वाइकल कहते है। गर्दन की हड्डियाँ और मांसपेशियां लचीली होती है और चोट लगने, सूजन आने या एक ही जगह पे ज्यादा देर तक काम करने से गर्दन की मांसपेसियों या हड्ड़ियो में अकड़पन आ जाता है जिससे हमें दर्द होता है और सर्वाइकल की समस्या आती है। गर्दन को हिलाने डुलाने से कुछ समय के लिए सर्वाइकल ठीक हो जाता है परन्तु फिर कुछ समय बाद दर्द दोबारा महसूस होने लगता है और हमारे गलत सोने, खाने, किसी भारी वस्तु को गलत ढंग से उठाने आदि और अन्य कारणों से हमें सर्वाइकल जैसी बीमारियाँ होती है होमियोपैथी औसधि या दवाइयों का उपचार सर्वाइकल के मरीजों के लिए बहुत उपयोगी और आराम दायक उपचार है होमियोपैथी औषधियाँ रोगी के रोग के लक्षण को बस कुछ समय के लिए ठीक नहीं करती बल्कि उस रोग को धीरे - धीरे हमेशा के लिए ठीक करती है और जिससे रोगी बना किसी सर्जरी और कष्ट के स्वस्थ हो जाता है।

gardan ke dard ka homyopaithik ilaaj in hindi

गर्दन दर्द में उपयोग की जाने वाली होमियोपैथी औसधि या दवाइयां - डेडली नाइटशेड, ब्लैक स्नैक रूट, पॉइजन हेमलॉक, येलो जैस्मिन आदि होमियोपैथी दवाइयाँ का प्रयोग करके रोगी का दर्द और बीमारी धीरे - धीरे हमेशा के लिए समाप्त हो जाती है।

गर्दन दर्द में होमियोपैथी द्धारा भोजन के निर्देश - अच्छे संतुलित आहार युक्त भोजनों का सेवन करना चाहिए जैसे हरी सब्जियां, कैल्शियम या विटामिन वाले फल, पोषक- तत्व युक्त दाल इन सभी भोजनों को करने से हमारे शरीर की मांसपेशियां मजबूत और शरीर में कैल्शियम की मात्रा पूर्ण रूप में रहती है। कैल्शियम से हमारी हड्डियां मजबूत होती है। इसलिए कहा जाता है की अच्छा भोजन ही अच्छे स्वास्थ्य की पहचान है।

चिंता या मानसिक रोग का होम्योपैथिक उपचार - चिन्ता का मतलब हम डर मान सकते है। जैसे हम कभी - कभी छोटी - छोटी बातों को लेकर घबरा जाते है। किसी काम को करने से पहले एक डर जैसा महसूस होता रहता है। की क्या में वो काम कर पाऊँगा, क्या में इस काम के लिए सही हू, आज तो हो गया काम क्या में कल भी इस काम को कर पाऊँगा। ये सभी चिंताए हमारे मन में चलती रहती है। इसमें हमें घबराहट, पसीना आना, सामाजिक चिंता, आदि चिंताए होती है। होम्योपैथी एक प्राकृतिक औषधि है जिनके उपचार से हमें कोई दुष्प्रभाव नहीं होते है और ये हमारे रोग को धीरे - धीरे पूरी तरह समाप्त कर देते है और हमें स्वस्थ बनाये रखते है।

chinta ya manasik rog ka homyopaithik upchar in hindi

एंजाइटी या चिंता के लिए होम्योपैथी दवाइयाँ - फूल्स पार्सले, अमाइलनाइट्राइट, सिल्वर नाइट्रेट, सिलिका, पॉइजन - आइवी, फास्फोरस आदि होमियोपैथी दवाइयों का उपयोग करके हम चिंता मुक्त हो जाते है, और स्वस्थ्य रहते है।

चिंता या एंजाइटी में होम्योपैथी द्धारा भोजन के निर्देश - पौष्टिक आहार का सेवन करें जैसे हरी सब्जियां, प्रोटीन युक्त दाल, ग्रीन टी, विटामिन्स वाले फल ये सभी हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत उपयोगी भोज्य पदार्थ है और साथ ही अधिक तेल युक्त, मसालेदार, चटपटा, जंक - फूड वाले भोज्य पदार्थों को नहीं खाए, ये भोज्य पदार्थ गुणहीन और जल्दी से पचते नहीं है, जो हमारे शरीर में जल्दी से पचते नहीं है और हमारे शरीर को नुकसान पहुंचाते है। एंग्जायटी डिसऑर्डर में केवल शुद्ध गुणहीन भोज्य पदार्थों को खाएँ और स्वस्थ रहें होमियोपैथी औषधि से और कई रोगों यानि हमारे शरीर के सभी रोगों का इलाज संभव है यह एक प्राकृतिक औषधियों के घोल से बनायीं जाने वाली औषधि है इस औषधि का कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है इस चिकित्सा में जैसे - चर्म रोग, पीत निकलना, ह्रदय रोग, थायराइड ग्रंथि रोग, पेट से सम्बन्धित रोग, हर्निया, मानसिक और शारीरिक रोग आदि सबके उपचार सही तरीके से किये जाते है और रोगों को धीरे - धीरे जड़ से समाप्त कर देते है।

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