सूर्यभेदन प्राणायाम की सावधानियां, लाभ एवं विधि इन हिंदी

सूर्यभेदन प्राणायाम का अर्थ एवं परिभाषा - सूर्य = पिंगला, भेदन = तोड़ना या आर-पार जाना। इस प्राणायाम में बार-बार पिंगला नाड़ी से श्वास लेते हैं, इस कारण इसे सूर्यभेदन प्राणायाम कहते हैं।

surya bhedi pranayama ki vidhi in hindi

आसने सुखदे योगी बद्ध्वा चैवासनं ततः।
दक्षनाड्या समाकृष्य बहिस्थं पवन शनेः॥
आकेशोदनखाग्राच्च निरोधावधि कुम्भयेत्।
ततः शनैः सव्यनाडया रेचयेत् पवन शनै॥

योगाभ्यासी कोई सुखदायक आसन बिछाकर, उस पर आसन लगाकर, दाहिने नथुने से बाहरी वायु को धीरे-धीरे अंदर खींचकर, उसे जब तक हो सके अधिकाधिक निरोध करे (श्वास को रोके) और फिर बाएँ नथुने से धीरे-धीरे श्वास को छोड़े।

सूर्यभेदन प्राणायाम की विधि - सर्वप्रथम किसी ध्यानात्मंक आसन में बैठें। कमर मेरुदंड सीधा करें। ब्राह्मी मुद्रा बनाएँ तथा बायाँ हाथ ज्ञान मुद्रा में रखें, दाईं नासिका से नियंत्रित गति से श्वास लें तथा फिर यथाशक्ति कुंभक करें, जालंधर बंध लगाएँ। फिर धीरे-धीरे जालंधर बंध हटाएँ, नियंत्रित गति से रेचक करें। यह सूर्यभेदी प्राणायाम हुआ। इसी तरह बार-बार प्राणायाम करें। इसमें पूरक, कुंभक, रेचक को 1:4:2 के अनुपात में रखते हैं।

सूर्यभेदन प्राणायाम के लाभ - इस प्राणायम के प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं -

(1) यह बुढ़ापा तथा मृत्यु को दूर करता है।

(2) इससे कफ दोष दूर होते हैं।

(3) इस प्राणायाम को करने से मोटापा कम होता है।

(4) यह प्राणायाम कुंडलिनी शक्ति को जाग्रत करता है।

सूर्यभेदन प्राणायाम की सावधानियाँ - सूयभेदन प्राणायाम में निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए -

(1) कुंभक की संख्या धीरे-धीरे बढ़ानी चाहिए।
(2) पित्त जिन्हें ज्यादा बनता हो वे इस प्राणायाम को न करें।
(3) सूर्यभेदी एक शक्तिशाली प्राणायाम है, इसका अभ्यास एक कुशल मार्गदर्शन में ही करना चाहिए।
(4) भोजन के बाद यह प्राणायाम कभी न करें।