गठिया (arthritis) रोग क्या है? यौगिक उपचार और लक्षण, कारण

gathiya rog ki pehchan in hindi

गठिया क्या है? - आजकल गठिया रोग के लक्षण से हर कोई लोग परेशान है और पुरुष से ज्यादा महिलाएँ गठिया रोग के कारण परेशान है। और इस रोग में हमारे पूर्ण शरीर के जोड़ो में दर्द महसूस होता है। तो आइये इसके बारे में पूरी जानकारी जानते है यह गठिया रोग क्या है और कैसे ठीक होता है।

गठिया की पहचान और गठिया रोग के लक्षण कैसे उत्पन्न होता है

आर्थराइटिस को हम आम भाषा में गठिया कहते है। यह एक ऐसा अपंगता पैदा करने वाला रोग है जो धीरे- धीरे हमारे शरीर के जोड़ो को क्षतिग्रस्त कर देता है इस रोग में हमारे शरीर की जोड़ - जोड़ में दर्द, लाली, गर्माहट और सूजन होने के साथ - साथ उन्हें हिलाना - डुलना भी मुश्किल हो जाता है। इस रोग में हमारे शरीर के वजन उठाने वाले अंगों के जोड़ जैसे - घुटने, कंधे, कलाई, नितम्ब, आदि ज्यादा प्रभावित होते है। और अधिक वजन उठाने से या एक ही जगह पर काफी देर तक बैठे या खड़े रहने से हमारे शरीर के जोड़ो में दर्द के लक्षण उत्पन्न होने लगते है।

गठिया (arthritis) रोग के लक्षण, प्रकार एवं उसका घरेलू इलाज

gathiya rog ke lakshan, prakar in hindi

1. अतिपाती (एक्यूट) गठिया -जब हमें कभी खासी, बुखार, सर्दी, पेचिश या उल्टी हो तो हमारे शरीर के जोड़ो में दर्द होने लगता है और जैसे ही ये रोग सही होते है दर्द स्वयं ही ठीक हो जाता है। यह लक्षण खासकर अतिपाती (एक्यूट) गठिया में होते है।

2. अस्थिक्षय (ऑस्टियो) गठिया -इस गठिया में हमारे शरीर की जोड़े धीरे- धीरे रोगग्रस्त होती जाती है और यह लक्षण अधिकतर मध्य अवस्था या वृद्धावस्था में होती है। इस रोग के लक्षण ज्यादातर उन लोगों में पाए जाते है जो बहुत भारी या गरिष्ठ भोजन करते शरीर मोटा है और जो ज्यादा शारीरिक परिश्रम नहीं करते है, उन लोगों में अस्थिक्षय (ऑस्टियो) गठिया रोग के लक्षण पाए जाते है।

3. जोड़ो में दर्द या सूजन होना -जोड़ो में दर्द होना या कभी सूजन आ जाना यह गठिया का मुख्य लक्षण होता है। कभी - कभी तो यह घरेलू इलाज में गर्म तेल की मालिश या नमक वाले गर्म पानी के सेकाव से ठीक हो जाता है। परन्तु कभी - कभी यह दर्द लम्बे समय तक रहता है और इसका सही समय पर इलाज न करवाने से यह हमारे लिए नुकसानदायक हो सकता है।

4. चलने में दर्द या तकलीफ होना -इस गठिया रोग के लक्षण में व्यक्ति को चलने में परेशानी होती है। और यह लक्षण हमें काफी देर तक एक ही जगह पर बैठे रहने और खड़े रहने से भी हो सकती है। ज्यादातर यह लक्षण बूढ़े लोगों या मोटापा वाले लोगों में होती है। ऐसे लोग जितना घरेलू इलाज को अपनाएंगे उतना उनके लिए बेहतर रहेगा।

5. गाऊट गाऊट तीक्ष्ण गठिया का ही विशेष रूप है जो भोजन में गड़बड़ी के कारण होता हैं गाऊट से अधिकतर वे लोग परेशान है जो भोजन में अधिक मात्रा में प्रोटीन यानि ज्यादातर मांस लेते है।

गठिया (arthritis) रोग होने के कारण और परहेज इन हिंदी

1. केल्शियम की कमी - कैल्शियम हमारे शरीर की मांसपेशियों और हड्डियों को मजबूत बनाए रखता है यह हमारे अच्छे रसदार, गुण युक्त भोजन पर निर्भर करता है जैसे - हरी सब्जियाँ, रसयुक्त दाल, विटामिन वाले फल इन सभी भोज्य पदार्थों में कैल्शियम की मात्रा अधिक पायी जाती है। और इन सभी भोज्य पदार्थों की कमी के कारण हमारे शरीर में कैल्शियम की मात्रा कम हो जाती है जिसके कारण हमारे शरीर की मांसपेशियां और हड्डियाँ कमजोर होने लगती है और दर्द महसूस होने लगता है। बहार के खाने (जैसे - फ़ास्ट फुड, अधिक मसालेदार या चटपटा वाले भोज्य पदार्थ) की वस्तुओं से हमें दूर ही रहना चाहिए और इनसे जितना हो सके परहेज करें। 

2. यूरिक एसिड - यूरिक एसिड हमारे भोजन से बनता है जब किसी वजह से किडनी की फ़िल्टर करने की क्षमता कम हो जाती है तो यूरिया यूरिक एसिड में बदल जाती है जो हमारे हड्डियों के बीच में जमा हो जाती है। यूरिक एसिड के बढ़ने से हमारे शरीर की मांसपेशियों में सूजन आ जाती है जिसके कारण दर्द महसूस होने लगता है और यह दर्द हमारे शरीर के जोड़ो जैसे - घुटनों, कंधो, टखने, गर्दन, कमर आदि जोड़ो में दर्द महसूस होने लगता है इसी के कारण हमें गाऊट और या गठिया जैसी बीमारियाँ होती है।

3. भोजन -अधिक मसालेदार, चटपटा और तेल युक्त भोजन जैसे - मांस, मोटा मांस, पैकिंग वाले भोजन आदि पदार्थों की अधिकता से हमें कब्ज रोग भी हो सकता है और कब्ज रोग हमारे शरीर की मांसपेशियों में होने वाले दर्द को बढ़ावा देता है। इसलिए ऐसे भोज्य पदार्थों से जितना हो सके उतना परहेज करें और स्वस्थ रहे। 

4. व्यायाम न करना -प्रतिदिन व्यायाम करने से हमारे मांसपेशियां मजबूत और शरीर में लचीलापन रहता है। नियमित रूप से व्यायाम नहीं करने से हमारे शरीर के अंगों के जोड़ो में अकड़न आ जाती है और पहले की तरह हिलने - डुलने योग्य नहीं रहती है। सही तरीके से न बैठने की अपेक्षा हर - समय कुर्सी पर काम करने और व्यायाम न करने के कारण हमारे शरीर के जोड़ खासकर नितम्ब, कमर, गर्दन, घुटनों आदि मांसपेशियों का लचीलापन समाप्त हो जाता है और हमें हर समय दर्द महसूस होता रहता है।

5. अस्वस्थ शरीर - अस्वस्थ शरीर वाले लोगों की पाचन शक्ति कमजोर होने के कारण इनका भोजन जल्दी पच नहीं पाता है जिससे ये लोग हर समय किसी न किसी बीमारी को झेल रहे होते है, और शारीरिक कमजोरी के कारण इनकी मांसपेशियां कमजोर हो जाती है जिसके कारण इनके शरीर के मांसपेशियों के जोड़ो में दर्द हर समय महसूस होता रहता है और हर समय अपने अस्वस्थ शरीर के कारण मानसिक तनाव में रहते है जिसके कारण इनकी मांसपेशियां कमजोर होती जाती है और बाद में यह दर्द गठिया रोग में प्रवर्तित हो जाता है।

6. बार - बार दवाई खाना - जब हमें कभी हलकी चोट, सिर दर्द या बुखार आता है तो हम सीधे डॉक्टर से दवाई ले लेते है, हालांकि दवाई रोग को दूर कर देते है पर दवाईयों का ज्यादा उपयोग करने से हमारे शरीर की मांसपेशियां कमजोर और शक्तिहीन हो जाती है जो बाद में दर्द का रूप ले लेते है और हम हर समय अपनी ही समस्याओं में उलझे रहते है। जितना हो सके दवाइयों से परहेज रखें और जब दर्द ज्यादा होने लगे तो तब दवाइयों का प्रयोग करें।  

गठिया रोग के लिए योग, व्यायाम एवं आयुर्वेदिक उपचार इन हिंदी

1. आयुर्वेदिक उपचार - आयुर्वेद विज्ञानं की वह शाखा है जो हमारे शरीर को शुद्ध और रोग मुक्त करता है। गर्दन दर्द होने पर कई लोग आयुर्वेद उपचार का सहारा लेते है और जल्दी से ठीक हो जाते है क्योंकि आयुर्वेद में उपचार करने से हमारे शरीर पर कोई अन्य दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है इसलिए कई लोग जोड़ो के दर्द या अन्य रोग की स्थिति में आयुर्वेद से उपचार करते है।

2. फिजियोथेरेपी - कई बार डॉक्टर मरीजों को फिजियोथेरेपी में इलाज करने की सलाह देते है और इलाज मरीजों के लिए लाभकारी होता है। फिजियोथेरेपी में हमारी मांसपेशियों को मजबूत बनाया जाता है जिससे मरीजों की मांसपेशियां पहले की तरह मजबूत, लचीली और शरीर स्वस्थ हो जाता है।

3. योग से उपचार - योग हमारे जीवन सुखमय पूर्ण जीने का आनंद है। योग अभ्यास हमें शुद्ध वातावरण और आश्रम (योग सेंटर) में रहकर सीखने और करने पर उनका परिणाम बहुत लाभकारी होता है। जैसे रोगी कभी अगर कर्मयोग करना चाहता है तो उसे सुनना पड़ता है की अरे भाई तुम बीमार हो तुम आराम करो हम कर लेंगे तुम क्यों परेशान हो रहे हो क्योंकि गठिया रोगियों के लिए योग में कर्मयोग भी उतना जरूरी है जितना जरूरी आसन - प्राणायाम आदि।

4. गठिया के लिए आसन – गठिया से बचाव या उसके नियंत्रण के लिए पवनमुक्तासन के सभी आसन जो हमारे शरीर के सभी अंगों के सभी जोड़ो को सक्रिय बनाकर उनकी भली- भाति मालिश करते और जोड़ो का कड़ापन या अकड़न एवं तनाव दूर करते है। पवनमुक्तासन का अभ्यास करने से पहले गठिया से पीड़ित लोगों को पहले ठण्डे और फिर गर्म नमक वाले पानी में अपने हाथ - पैर डुबोकर या मालिश कर लेनी चाहिये, जिससे की रोगग्रस्त मांसपेशियों में रक्तसंचार बढ़ जाये। और गठिया से पीड़ित लोगों को योग अभ्यास करने में आसानी हो।

जैसे - जैसे जोड़ो या मांसपेशियों का लचीलापन बढ़ता जाये, अन्य आसनों को अभ्यास में जोड़ते रहे जैसे - शशांकासन, मार्जरीआसन, भुजंगासन आदि आसनों को अभ्यास में लाये और प्रतिदिन अभ्यास करे और फिर अपनी शक्ति के अनुसार सूर्यनमस्कार का अभ्यास करे। प्रतिदिन सुबह सूर्यनमस्कार का अभ्यास करके जीवनभर गठिया से मुक्त होना सम्भव है।

5. प्राणायाम - प्राणायाम में हम अपनी साँसो को ध्यान में रखते हुवे अपने शरीर को स्वस्थ करते है। उदर श्वसन, नाड़ीशोधन प्राणायाम और भस्त्रिका प्राणायाम हमारी पाचन शक्ति को बढ़ाते है एवं नाड़ियों में प्राणशक्ति के प्रवाह को बढ़ाकर उनमें जो भी अवरोध हो उन्हें दूर करते है। ये प्राणायाम हमारे शरीर की जीवन शक्ति को बढ़ाते है और उन्हें स्वस्थ बनाए रखते है।

6. ध्यान – ध्यान हमारे आंतरिक और बाह्य शरीर को शांत करता है। ध्यान शांत वातावरण में करना चाहिए ध्यान करते समय हमें पद्मासन या सुखासन में कमर और गर्दन को सीधा करके ध्यानलगाना पड़ता है। जिससे हमारे शरीर की मांसपेशियां शांत और तनाव रहित रहती है। और हमारे पूर्ण शरीर में रक्त संचार शांति से होता रहता है। और ध्यान एवं शिथिलीकरण यानि योग निंद्रा के अभ्यास से व्यक्ति में सकारात्मक विचार विकसित होते है।

7. अच्छा भोजन – अच्छा भोजन ही हमारे अच्छे स्वास्थ्य की पहचान है। इसलिए प्रतिदिन अच्छा या सात्विक भोजन करे। उबले हुए अनाज जैसे - चावल, जो, बाजरा, गेहूँ इत्यादि। हल्की सुपाच्य दाल मूंग, अरहर इत्यादि। ये प्रोटीन की कमी को पूरा करते है। उबली या पकाई हुई हरी सब्जियाँ और सभी प्रकार के फल सिर्फ केले को छोड़कर ये सभी भोज्य पदार्थ हमारे शरीर में पोषक तत्वों की मात्रा को बढ़ाते है और हमारे शरीर की मांसपेशियों को मजबूत बनाये रखते है। गठिया से पीड़ित लोगों के लिये यह भोज्य पदार्थ लाभकारी और सहायक रहते है इसलिए अच्छा खाये साथ ही अच्छा दिखे, चले और अच्छे से काम करें।

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