प्राणाकर्षण प्राणायाम लाभ, विधि, अर्थ एवं सावधानियाँ इन हिंदी

प्राणाकर्षण प्राणायाम क्या है –प्राणाकर्षण प्राणायाम योग की प्रमुख विविध प्राणायाम के प्रकारों का कड़ी में एक विश्ष्टि नवीन प्राणायाम है, इस प्राणायाम का प्रतिपादन आचार्य पं. श्रीराम शर्मा ने अपनी पुस्तक प्राणायाम से आधि-व्याधि उपचार’ में किया है। उनके अनुसार प्राणाकर्षण प्राणायाम शरीर व्यापी प्राण को ब्रह्माण्डीय प्राण से जोड़ने, प्राण धारण की सामर्थ्य बढ़ाने एवं उसे जीवन की उच्चतर आयामों में पहुँचाने वाली विशिष्ट प्रक्रिया है।

प्राणाकर्षण प्राणायाम: का अर्थ एवं परिभाषा – प्राणाकर्षण प्राणायाम दो पदों से मिलकर बना है – प्राणाकर्षण+प्राणायाम। प्रथम पद प्राणाकर्षण से तात्पर्य प्राणों के आकर्षण से है। ‘प्राण’ सूक्ष्म ऊर्जा, शक्ति एवं सामर्थ्य का प्रतीक है। विद्या, चतुराई, अनुभव, दूरदर्शिता, साहस, लगन, शौर्य, जीवनीशक्ति, ओज, पुष्टि, पराक्रम, पुरूषार्थ, महानता आदि जो आन्तरिक शक्ति है, उसे आध्यात्मिक भाषा में इसे ‘प्राणशक्ति’ कहते हैं।

प्राण द्वारा धैर्य, स्थिरता, दृढ़ता, एकाग्रता, भावनात्मकता और आध्यात्मिकता प्राप्त होती है, जो व्यक्ति के व्यक्तित्व का परिशोधन एवं अभिवर्धन करने में सहायक होती है। अतः प्राणाकर्षण पद का अभिप्राय है, सूक्ष्म ऊर्जा, जीवन की ऊर्जा को प्राप्त करना आकर्षित करना। इस तरह से प्राणाकर्षण प्राणायाम का अर्थ हुआ – जीवन की ऊर्जा को आकर्षित, नियमन कर, धारण करना और भली प्रकार नियंत्रण स्थापित करना।

आचार्य प. श्रीराम शर्मा के अनुसार प्राणायाम की परिभाषा –

1. ‘प्राणस्य आयामः प्राणायामः प्राण शक्ति को नियंत्रित तथा विस्तृत करने का नाम प्राणायाम है।

2. प्राण के सूक्ष्म आयामों में प्रवेश करने को ही प्राणायाम कहते है। प्राण शक्ति का परिशोधन एवं अभिवर्धन कर जीवन के विभिन्न बहुआयामी समर्थों के विकास की तकनीक का नाम ही प्राणायाम है। इसमें स्थल से लेकर सूक्ष्म शरीर तक को प्रभावित करने की सामर्थ्य है।

3. अखिल बह्रमांड व्याप्त प्राणतत्व को धारणा कर अपने व्यक्तित्व को अधिकाधिक समुन्नत, प्राणवान एवं परिष्कृत बनाए जाने की साधना पद्द्ति को प्राणाकर्षण प्राणायाम कहा जाता है। इसमें दोहरी प्रक्रिया अपनानी पड़ती है। एक अपने भीतर के प्राणतत्व का परिमाजर्न करना तथा उभारना। दूसरे चरण में चारों ओर बहते हुए प्राण सागर से प्राणतत्व को खींचना और अपने भीतर भरना पड़ता है।

प्राण की सूक्ष्म संरचना एवं कार्य विधि की सक्षमता एवं व्यतिरेक पर ही आत्मिक, मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य का स्वरूप बनता है। इस तरह प्राणाकर्षण प्राणायाम व्यक्ति के संकल्प की दृढ़ता पर निर्भर करता है। संकल्प और प्रबल भावनाओं द्वारा ब्रह्माण्डीय ऊर्जा का आकर्षण संभव है।

प्राणाकर्षण प्राणायाम की विधि, सावधानियां एवं लाभ इन हिंदी

प्राणाकर्षण प्राणायाम की क्रिया विधि :

1. सर्वप्रथम सुखासन मे बैठे, मेरूदण्ड सीधा, नेत्र बन्द करके यह भावना करे कि हम प्राण प्रवाह से ओत- प्रोत स्थान मे बैठे है। सूर्य प्रकाश मे प्रकाशित होते हुए श्वेत-वाष्प कंप बादलो की तरह प्राण तत्व सर्वत्र उफनता हुआ हमारे चारो ओर व्याप्त है और हम उसके बीच में सब प्रकार से निश्चय, निश्चिंचत, शांत, प्रसन्न अवस्था मे बैठे हैं।

2. अब दोनो नासिका छिठ्रो से श्वास धीरे-धीरे भीतर खींचिये। उस समय यह भावना करें कि प्राण-प्रवाह हमारे चारो ओर व्याप्त है और वह नासिका छिद्रो द्वारा भीतर प्रवेश करके हमारे अंग प्रत्यंग मे व्याप्त हो रहा है और उनको नव-जीवन प्रदान कर रहा है।

3. श्वास को थोड़ी देर एक मिनट, आधा मिनट सामार्थ्यनुसार रोके रहना चाहिए और उस समय भी यह भावना करनी चाहिए कि साँस के साथ भीतर गया प्राण तत्व हमारे विभिन्न अंगो को शक्तिवान बनाकर हमारा कल्याण कर रहा है।

4. इसके पश्चात साँस को धीरे-धीरे बाहर निकाल दीजिए, साँस निकालते समय यह भाव रखना चाहिये कि प्राण-वायु लाभकारक तत्व को शरीर के उपयोग मे लगा कर वहाँ की गन्दिगी और मल को साथ लेकर बाहर निकाल रही है।

5. श्वास के बाहर निकल जाने के बाद बाहर श्वास को कुछ देर रोके (बाह्य कुंभक) तथा भावना करें कि सभी विजातीय तत्व बहिष्कृत होकर दूर चले गये है अर्थात हमारे अंदर के दोष दुर्गुण बाहर निकल गये है, वे पुनः प्रविष्ट न हो। इस प्रकार का प्राणाकर्षण प्राणायाम के चक्र को तीन से चार बार करना चाहिए।

इतने में प्राणायाम का एक चक्र पूर्ण होता है। परन्तु यह क्रिया विधि इतनी ही नहीं है। इसमें इच्छा, भावना और संकल्प का सम्पुट लगाने से इसकी महत्ता लाखों गुना बढ़ जाती है।  इसमें क्रिया के अपेक्षा भावना को अधिक प्रधानता दी गयी है। मनुष्य के विचारों, चिन्तनों एवं भावों में अपरिमित प्राण ऊर्जा निहित होती है, तथा यह इन विचारों की नकारात्मक एवं सकारात्मक विचारों, भावों एवं चिन्तनो का उसके शारारिक, मानसिक स्वास्थ्य पर तदनुरूप प्रभाव पड़ता है। विचारों, चिन्तनों एवं भावों के सकारात्मक पक्ष का उपयोग कर नकारात्मक पहलुओं का मूलोच्छेदन किया जा सकता है। यही अचेतन के परिष्कार का मूल आधार है।

भावना (स्व- संकेत) –

1. जब प्राणायाम प्रारम्भ करना है तो पहले भावना करना है कि हमारे चारो आकाश में तेज और शक्तियुक्त प्राणतत्व हिलोरें ले रहा है, सूर्य के प्रकाश चमकती हुई बादलों जैसे प्राण का ऊफान हमारे चारो और उमड़ता चला आ रहा है और हम उस प्राण उफन के बीच निश्चल, शांतिचित्त, निर्विकार एवं प्रसन्न मुद्रा में बैठे हुए है।

2. नासिक से जब पूरक क्रिया सम्पन्न करते है तो भावना करते है कि प्राणतत्व श्वास के माध्यम से हमारे अंदर प्रवेश कर रहा है।

3. जब पूरी श्वास खींच लें तो उसे भीतर रोकें और भावना करें कि जो प्राणतत्व हमने शरीर के अंदर धारण किया उसको हमारे भीतरी अंग – प्रत्यगं सोख रहे है। जिससे प्राणतत्व सम्मिलित चेतना, तेज, बल, उत्साह, साहस जैसे अनको तत्व हमारे अंग – प्रत्यंग में स्थिर हो रहें है।

4. अब जितनी देर रोक सकें रोकने के पश्चात रेचक की क्रिया में भावना करें कि प्राण तत्व का सार तत्व हमारे अंग – प्रत्यंग द्वारा खींच लिए जाने के पश्चात शरीर, मन एवं मष्तिक के जो विकार थे सब उसमें घुल कर बाहर निकल रहे है। हम विकार मुक्त हो रहे हैं।

5. पूरी श्वास बाहर निकल जाने के पश्चात बाह्य कुंभक की क्रिया में भावना करें की अंदर के जो विकार बाहर निकले वे पुनः वापस लौटकर न आवे, वे बहिष्कृति होकर हमसे बहुत दूर उड़े जा रहे है।

प्राणाकर्षण प्राणायाम की सावधानियाँ –

1. प्राणाकर्षण प्राणायाम को करते समय जल्दबाजी न करें।
2. वातावरण या बन्द कमरे में वायु का आदान-प्रदान न हो, ऐसा स्वच्छ स्थानों पर करें।
3. यह प्राणायाम भावना प्रधान होने के कारण, पूरी श्रद्धा भावना से ओत-प्रोत होकर करें।
4. इस प्राणायाम के लिए शारीरिक स्थिरता जरूरी है।

प्राणाकर्षण प्राणायाम के लाभ :

1. प्राणायाम शरीर को सक्रिय एवं स्वस्थ बनाता है यह शरीर की वसा को कम करता है।
2. कोई भी व्यक्ति प्राणायाम द्वारा लम्बे जीवन की प्राप्ति कर सकता है। प्राणायाम स्मृति शक्ति को बढ़ाता है एवं मानसिक विकृतियों को दूर करता है।
3. प्राणायाम पेट, जिगर, मूत्राशय, छोटी-बड़ी आँत एवं पाचन तंत्र की कार्य प्रणाली को व्यवस्थित एवं सुचारू करता है।
4. प्राणायाम परिसंचरण तंत्र को शुद्ध करता है एवं शरीर के आलस्य को दूर करता है।
5. प्राणायाम गैस्ट्रिक फायर को उत्तेजित करता है जिससे शरीर स्वस्थ बनता है।
6. प्राणायाम के लगातार अभ्यास से तंत्रिका तंत्र शक्तिशाली होता है। मन शांत होता है एवं एकाग्रचित्त होता है।

प्राणाकर्षण प्राणायाम की प्रक्रिया मात्र श्वास-प्रश्वास जन्य ऊर्जा उत्पादन, रासायनिक परिवर्तनों तक सीमित नहीं है। इस सामर्थ्य को उतना ही शक्तिशाली माना जाना चाहिए जितना कि परमाणु के नाभिक विखण्डन प्रक्रिया को भौतिकवादी मानते हैं। प्राण शक्ति चेतना विद्युत है जो मस्तिष्क के प्रत्येक कोश को प्रभावित करती है एवं प्रक्रिया के सही होने पर सोद्देश्य ध्यान के साथ जुड़ जाने पर न केवल विकारों का शमन करती है, अपितु प्रतिभा, प्रखरता, स्मृति आदि को भी बढ़ाती, मनुष्य को क्षमता संपन्न बनाती है।

इसे भी पढ़ें – सीत्कारी प्राणायाम की सावधानियां, लाभ एवं विधि इन हिंदी

Share Article:

अजितेश कुँवर, कुँवर योगा, देहरादून के संस्थापक हैं। भारत में एक लोकप्रिय योग संस्थान, हम उन उम्मीदवारों को योग प्रशिक्षण और प्रमाणन प्रदान करते हैं जो योग को करियर के रूप में लेना चाहते हैं। जो लोग योग सीखना चाहते हैं और जो इसे सिखाना चाहते हैं उनके लिए हमारे पास अलग-अलग प्रशिक्षण कार्यक्रम हैं। हमारे साथ काम करने वाले योग शिक्षकों के पास न केवल वर्षों का अनुभव है बल्कि उन्हें योग से संबंधित सभी पहलुओं का ज्ञान भी है। हम, कुँवर योग, विन्यास योग और हठ योग के लिए प्रशिक्षण प्रदान करते हैं, हम योग के इच्छुक लोगों को इस तरह से प्रशिक्षित करना सुनिश्चित कर सकते हैं कि वे दूसरों को योग सिखाने के लिए बेहतर पेशेवर बन सकें। हमारे शिक्षक बहुत विनम्र हैं, वे आपको योग विज्ञान से संबंधित ज्ञान देने के साथ-साथ इस प्राचीन भारतीय विज्ञान को सही तरीके से सीखने में मदद कर सकते हैं।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

About Kunwar Ajitesh

Mr. Ajitesh Kunwar Founder of Kunwar Yoga – he is registered RYT-500 Hour and E-RYT-200 Hour Yoga Teacher in Yoga Alliance USA. He have Completed also Yoga Diploma in Rishikesh, India.

स्वास्थ्य से संबंधित खबरें


Edit Template

About

Kunwar Yoga – Mahadev Kunj, Old Nehru Colony, Dharampur, Dehradun, Uttarakhand, India. 248001

हमारी सेवाएं

Copyright © 2024 Kunwar Yoga. | Design By : Website Designing Company Dehradun