उत्तान कूर्मासन का अर्थ - विधि, लाभ और सावधानियां
उत्तान कूर्मासन का नामकरण - कुक्कुटासन में कन्धों को दानों हाथों से पकड़ कर कछुए के समान सीधा हो जाना उत्तान कूर्मासन कहलाता है।
उत्तान कूर्मासन की विधि - उत्तान कूर्मासन का अभ्यास पद्मासना में किया जाता है। पद्मासन में हाथों को जाँघों और पिण्डलियों के बीच से निकालकर कन्धों को पकड़ते हैं और उसके बाद जमीन पर सीधा लेट जाते हैं। यही उत्तान कूर्मासन है।कुक्कुटासन और उत्तान कार्मासन में यही भिन्नता है कि उत्तान कूर्मासन में हथेलियों को जमीन पर न टिकाकर उनसे कन्धों को पकड़ते हैं और शरीर पद्मासन की उवस्था में जमीन पर ही रहता है।
उत्तान कूर्मासन से लाभ - 1. इस आसन के लाभ कुक्कुट आसन के लाभ के समान ही है। अन्तर इतना ही है कि उसमें शरीर ज्यादा संकुचित हो जाता है, एक आकृति में बन्ध जाता है। शरीर की संकुचित अवस्था में जब हम सिर को नीचे रखते हैं और पिण्डलियाँ कहनियों के ऊपर रहती हैं, तब सभी अंगों में दबाव की उत्पत्ति होती है।
2. इस आसन को करने से पूरे शरीर में नये रक्त का संचार तीव्र गति से होता है। विशेषकर माँसपेशियों में जमें हुए रक्त को हटाने के लिए इस आसन का अभ्यास किया जाता है।