भद्रासन का अर्थ - विधि, लाभ और सावधानियां

भद्रासन का नामकरण - भ्रद अर्थात्‌ कल्याण कारी, यह भद्रासन सभी रोगों को दूर करता है। इस लिए इसे भद्रासन कहते हैं।

bhadrasana karne ki vidhi in hindi

भद्रासन की विधी - सर्वप्रथम वज्रासन में बैठकर दोनों पैरों के अँगूठों को साथ-साथ रखते है। घुटनों को जितना हो सके दूर-दूर फैलाते हैं। पैरों की अँगुलियों का सम्पर्क जमीन से बना रहे। एड़ियों को इतना फैलाते हैं कि नितम्ब फर्श पर जम जाये। फिर दोनों हाथों से टखने को पकड़ते हैं।

श्वास - धीमी और लयबद्ध हो तथा श्वास की सजगता नासिकाग्र पर रहे। आध्यात्मिक लाभ के लिए सजगता को मूलाधार पर रखते हैं।

भद्रासन से लाभ - 1. यह आसन मुख्य रूप से आध्यात्मिक साधकों के लिए हैं क्योंकि इस स्थिति में आने मात्र से मूलाधार चक्र उत्तेजित होने लगता है।
2. यह ध्यान का एक उत्तम आसन है।
3. वज्र नाड़ी पर जोर पड़ते के कारण पाचन शक्ति तीव्र होती है। साथ ही साथ बिना प्रयास किये स्वाभाविक रूप से अश्विनी और वज्रोली मुद्रा का अभ्यास भी इसमें हो जाता है।