मकरासन का अर्थ - विधि, लाभ और सावधानियां
मकरासन का नामकरण - पेट के बल लेट कर हाथों को ठुड्डी में टिका देते हैं कुहनियाँ जमीन पर और चेहरा दोनों हथेलियों के बीच में रहता है। इसी अवस्था में अपने शरीर को ढ़ीला छोड़ देते हैं। यह शरीरस्थ अग्नि को तीव्र करने वाला मकरासन है।
मकरासन की विधि - पेट के बल सीधे लेट कर सर. कुहनियों को मिलाकर रखें। यदि गर्दन पर अतिरिक्त तनाव कहनियों और कंधो को ऊपर उठाते है तथा कहनियों जो जमीन पर रखते हुए ठुड्डी को हथेलियों पर टिकाते है। मेरुदंड को अधिक चापाकार स्थिति में करने के लिए कुहनियों को मिलकर रखे लें। आँखों को बन्द कर पूरे शरीर को शिथिल बनायें। यदि गर्दन पर अतिरिक्त तनाव पड़ रहा हो तो कुनहियों को थोड़ा फैला लें। आँखों को बंद कर पुरे शरीर को शिथिल बनायें।
मकरासन की सावधानियां - जिन व्यक्तियों की पीठ में दर्द रहता है, उन्हें यदि इस आसन में दर्द का अनुभव हो तो वे इसका अभ्यास न करें।
श्वास - इस आसन में श्वास सहज एवं लयबद्ध रखी जाती है।
मकरासन के लाभ - 1. यह छाती और फेफड़ों का विस्तार करता है।
2. गले को साफ करता है, क्योंकि अभ्यास के समय जब हम गले को ऊपर करते हैं, तो श्वसन नली एक सीधी रेखा में हो जाती हैं।
3. जमा हुआ कफ साफ हो जाता है और बन्द मार्ग खुल जाता है।