शवासन का अर्थ - विधि, लाभ और सावधानियां
शवासन का नामकरण - शव का अर्थ होता है-मृत शरीर। इस आसन में शरीर की स्थिति मुर्दे के समान हो जाती है, अंग-अंग शिथिल हो जाता है इसलिए इस आसन का नाम शवासन है।
शवासन की विधि - पीठ के बल लेट जाइए, दोनों पैरों के बीच में एक से डेढ़ फीट को दूरी, हथेलियों आसमान की ओर खुली हुई, सिर, गरदन और रीढ़ की हड्डी एक सीध में, आंखें और होठ सहजता से बंद, लंबी गहरी श्वास लें। हर बाहर जाते श्वास के साथ अपने आप को शिथिल करने का प्रयास कीजिए, पूरा शरीर शिथिल, मन शांत, संपूर्ण शरीर का ख्याल कोजिए, सिर से लेकर पाँव तक अपनी चेतना को घुमाइए, मन ही मन ॐ का उच्चारण कीजिए अंग-प्रत्यंग शिथिल, मन शांत, किसी भी अंग में कोई तनाव नहीं, दाहिनी हाथ को तरफ अपनी चेतना को लाइए।
हथेली, कलाई, निचली भुजा, कोहनी , बाँह, कंधा पूरा दायाँ हाथ शिधिल। अब बाएँ हाथ को तरफ अपनी चेतना को लाइए। हथेली, कलाई, निचली भुजा, कोहनी, बाँह, पूरा बायाँ हाथ शिथिल। अब दाएँ पैर की तरफ अपनी चेतना को लाइए पंजा, तलवा, हाथ शिथिल। अब दाएँ पैर को तरफ अपनी चेतना को लाइए पंजा, तलवा, एड़ी, टखना , पिंडली घुटना, जाँघ शिथिल पूरा दाहिना पैर विश्राम को अवस्था में। बाएँ पैर की तरफ अपनी चेतना का घुटना, जाँघ, पूरा बायाँ पैर पूर्णत: विश्राम की अवस्था में। अब धड़ के हिस्से दोनों नितंब, कमर, पीठ, छाती, कंधा, रीढ़ की हड्डी, पूरे धड़ के हिस्से में अपनी नितंब, कमर , पीठ, छाती , कंधा, रीढ़ की हड्डी, पूरा धड़ का हिस्सा विश्राम अंग-प्रत्यंग भारी हो रहे हैं।
ऐसा महसूस कोजिए कि आपका वजन बढ़ता चला जा रहा है। अब आपको हलका करने का प्रयास कोजिए। शरीर हलका, अंग-प्रत्यंग हलका, आप धरती पर कछ भी वजन नहीं डाल रहे हैं। आप अंदर-बाहर से एकदम हलके हो रहे हैं, किसी भी अभ्यास का दबाव आपके ऊपर नहीं है। चिंता मुक्त, थकान मुक्त, परेशानी मुक्त, तनाव मुक्त हर तरह से विश्राम की अवस्था में, धीरे-धीरे हाथ-पैर को हिलाइए, हाथ ऊपर ले जाकर अंगड़ाई लीजिए। बायीं करवट लेते हुए उठकर बैठिए। हथेलियों को रगड़िए, आँख पर रखिए, फिर आँख खोलिए।
शवासन की सावधानियाँ - शवासन में निम्नांकित बातों का ध्यान रखना चाहिए -
(1) जिन्हें डॉक्टर ने किसी कारणवश पीठ के बल सोने से मना किया हो वे इसे न करें।
(2) इस आसन में मुँह बंद, आँखें बंद, सिर, मेरुदंड व गरदन तीनों एक सीध में तथा चेहरे पर किसी प्रकार का तनाव नहीं होना चाहिए।
(3) सामान्यत: इस आसन में नींद नहीं लेनी चाहिए।
शवासन से लाभ - शवासन के प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं -
(1) यह आसन शरीर व मन को शांति तथा शिथिलता प्रदान कर तनाव जनित अन्य रोगों को दूर करता है।
(2) यह शरीर के प्रति सजगता प्रदर्शित करता है तथा थकान को दूर करता है।
(3) उच्च रक्तचाप, मधुमेह, तंत्रिका तंत्र दौर्बल्य, हृदय रोगों से ग्रसित रोगी को यह आसन बहुत लाभ पहुँचाता है।
(4) इस आसन को अन्य आसनों के बीच-बीच में और अंत में किया जाता है।